इसरो एवं गगनयान मिशन

गगनयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का अंतरिक्ष में प्रथम मानव मिशन है। गगनयान मिशन इसरो का अब तक का सबसे बड़ा बजट वाला मिशन है जो लगभग 10,000 करोड़ के करीब है। एक वक्‍त वो भी था जब दुनिया चॉंद पर पहुँच चुकी थी (USA-अपोलो-11, वर्ष 1969) तब  हम भारत में ISRO की स्‍थापना (15 अगस्त, वर्ष 1969)कर रहे थे। ISRO भारत का गौरव है क्‍योंकि व‍िज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की सबसे सफलतम संस्‍था है। ISRO की सफलता का प्रतिशत 95% से भी अधिक है जो विश्‍व के अन्‍य स्‍पेस एजेंसियों की तुलना में सर्वाधिक है।

भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की नींव डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्‍व में वर्ष 1962 को भारतीय राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) के रूप में केरल के तिरुवनंतपुरम से प्रारंभ हुई थी। क्रमिक विकास में नाइकी अपाचे (Nike Apache) पहला साउंडिंग रॉकेट, आर्यभट्ट-प्रथम स्‍वदेशी उपग्रह का प्रक्षेपण किया। प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी भी क्रमश: SLV  ASLV PSLV GSLV  GSLV-MK-II  GSLV-MK-III (सबसे उन्‍नत) विकसित हुई। इस बीच ISRO ने क्रायोजेनिक टेक्‍नोलॉजी, चंद्रयान-1, 104 सैटेलाइट प्रक्षेपण, चंद्रयान-2, मंगलयान जैसे बडे़ मिशन किए एवं ऐतिहासिक सफलता अर्जित की। अब ISRO अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए कीर्तिमान रचने की ओर अग्रसर है, आगामी बड़े मिशन में गगनयान सर्वोपरि है तथा चंद्रयान-3, शुक्रयान, आदित्‍य-L1 जैसे मिशन का भी प्रक्षेपण किया जाना है। वर्ष 2032-33 तक भारत अपना स्‍पेस स्‍टेशन भी स्थापित करने के लिए प्रयासरत है।

गगनयान मिशन

गगनयान, अद्यतन शेड्यूल के तहत वर्ष 2023 तथा  2024 में लॉन्च किया जाएगा, जिसे तीन अंतरिक्ष अभियानों के द्वारा निम्‍न भू-कक्षा (LEO) में भेजा जाएगा। इन तीन अभियानों में से 2 मानवरहित होंगे, जबकि एक मानव युक्त मिशन होगा। मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम,में एक महिला सहित तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे ,जिसे ऑर्बिटल मॉड्यूल कहा जाता है । यह मिशन 5-7 दिनों की अवधि में पृथ्वी से 400-700 किमी. की ऊँचाई पर लो अर्थ ऑर्बिट में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। गगनयान रूस, चीन और नासा के ओरियन यान और अपोलो कैप्सूल से छोटा होगा। इसरो ने इसे “राष्ट्रीय मशीन” कहा है।

गगनयान मानवरहित (अनक्रूड) ‘जी1’ मिशन को 2023 की अंतिम तिमाही में लॉन्च करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके बाद 2024 की दूसरी तिमाही में दूसरा मानवरहित(अनक्रूड) ‘जी2’ मिशन लॉन्च किया जाएगा. इसके बाद 2024 की चौथी तिमाही में फाइनल(मानव युक्त) मानव अंतरिक्ष उड़ान ‘H1’ मिशन लॉन्च होगा. भारत की स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने के मौके पर गगनयान को शुरू में 2022 में लॉन्च करने की योजना बनाई गई थी. हालांकि, कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन की वजह से भी इसमें देरी हुई।

  • गगनयान मिशन में ISRO पहली दो गगनयान उड़ानों में व्योममित्र ह्यूमनॉइड को बायोलॉजिकल तथा माइक्रोग्रैविटी प्रयोगों साथ अंतरिक्ष में भेजेगा। अवलोकन के पश्चात तीसरे मिशन को छोड़ा जायेगा । यह ISRO द्वारा स्‍वदेशी रूप से विकसित पहला मानव मिशन होगा।
  • इसमें एक क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल शामिल होगा जो एक आर्बिटल मॉड्यूल का गठन करेगा। क्रू मिशन के दौरान माइक्रो ग्रैविटी परीक्षण करेंगे।
  • गगनयान कार्यक्रम का कार्यान्‍वयन ISRO के मानव उड़ान केंद्र (Human Space Flight Centre: HSFC), बेंगलुरु द्वारा किया जाएगा।
  • 2004 में, मानव अंतरिक्ष मिशन को पहली बार ISRO की नीति आयोजना समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था, जिसका आरंभ में लक्ष्य 2015 निर्धारित किया गया, तब से इस हेतु निरंतर तैयारियां चल रही हैं। प्रधान मंत्री द्वारा अगस्त 2018 में भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान गगनयान के लिए 10,000 करोड़ रुपये की राशि घोषित हुई ।
  • गगनयान स्पेस क्राफ्ट को आंध्रप्रदेश के श्री हरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर (Satish Dhawan Space Center) से स्पेस में भेजा जाएगा। इसके लिए GSLV MK-lll का इस्तेमाल किया जाएगा। इस प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल चन्द्रयान-2 मिशन में भी किया गया था।
  • लॉन्च होने बाद लगभग 16 मिनट बाद यह रॉकेट गगनयान स्पेस क्राफ्ट को धरती के सतह से 400-700 किलोमीटर की दूरी पर छोड़ देगा। इसके बाद यह स्पेस क्राफ्ट सात दिनों तक धरती की कक्षा में घूमेगा। स्पेस क्राफ्ट धरती पर वापिस आएगा, उससे पहले यह अपने सर्विस मोड्यूल और सोलर पैनलस को अपने से अलग कर देगा। नीचे आते वक्त इसकी स्पीड लगभग 216 मीटर प्रति सैकंड होगी।इसको नियंत्रित करने के लिए और सुरक्षित नीचे आने के लिए इसमें दो पैराशूट सिस्टम लगाए गए है। अगर एक फैल भी हो गया तो दूसरा सुरक्षित लैंडिग के लिए काफी होगा। पैराशूट इसकी स्पीड को लगभग 11 मीटर प्रति सैकंड कर देगा। इसके बाद स्पेस क्राफ्ट को बंगाल की खाड़ी में उतारा जाएगा। इस तरह की लैडिंग को स्पलेसडाउन लैडिंग (Splashdown landing) कहा जाता है।

 सहयोगी देश -

रूस में चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण हुआ 1 जुलाई 2019 को इसरो और रूस के बीच एक समझौता हुआ था जिसके अनुसार रूस हमारे एस्ट्रोनोट्स के सिलेक्शन, ट्रेनिंग, स्‍पॉट और मेडिकल एग्जामिनेशन के लिए अपना सहयोग देगा। रूस में हमारे एस्ट्रोनोट्स ने अंतरिक्ष उड़ान का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, इनको व्योमनॉट्स कहा जायेगा ।


गगनयान तथ्‍य

मिशन का नाम

गगनयान

निर्माता

ISRO, HAL, DRDO

अंतरिक्षयान का प्रकार

क्रू

प्रक्षेपण स्‍थल

श्री हरिकोटा

गगनयान नियंत्रण केंद्र

HSFC (Human Space Flight Centre), Bengaluru

प्रक्षेपण यान

GSLV-MK-III (LVM-3)

कक्षा जहॉं प्रक्षेपित होना है

निम्‍न भू-कक्षा (LEO)

लॉंच वजन

3.7 टन (लगभग)

मिशन की लागत

10,000 करोड़

सहयोगी देश

रूस

कुल कितने मिशन

3 (2 मानव रहित + 1 मानवयुक्‍त)

रोबोट (Half Humanoid) का नाम

व्‍योममित्र

संभावित लॉंच

प्रथम मिशन – 15 अगस्‍त, 2023 के पहले (ISRO के चेयरमैन के अनुसार)

ट्रेनिंग प्राप्‍त क्रू मेम्‍बर की संख्‍या

4 (सभी वायुसेना के)

अंतरिक्ष में जाने वाले क्रू मेम्‍बर

3 यात्री (2 पुरूष अंतरिक्ष यात्री + 1 महिला अंतरिक्ष यात्री)


व्‍योममित्र

ह्यूमनॉइड को ISRO Inertial Systems Unit, तिरुवनंतपुरम द्वारा विकसित किया गया है। ‘व्योममित्र’ शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों ‘व्योम’ और ‘मित्र’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ क्रमश: अंतरिक्ष एवं मित्र है। इसरो द्वारा विकसित अर्द्ध-मानव (Half-Humanoid) का यह प्रोटोटाइप (Prototype) एक महिला रोबोट है। इसे हाफ-ह्यूमनॉइड (Half-Humanoid) इसलिये कहा जा रहा है क्योंकि इसके पैर नहीं हैं, यह सिर्फ आगे (Forward) और अगल-बगल (Sides) में झुक सकती है।


विशेष विवरण –HS200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर

बूस्टर इंजन जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल Mk-III (GSLV Mk-III) रॉकेट का हिस्सा है जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाएगा। गगनयान मिशन के लिये उपयोग किये जाने वाले GSLV Mk-III रॉकेट में दो HS200 बूस्टर होंगे जो लिफ्ट-ऑफ के लिये इसे थ्रस्ट प्रदान करेंगे।  HS200 उपग्रह प्रक्षेपण यान GSLV Mk-III के S200 रॉकेट बूस्टर का ह्यूमन-रेटेड संस्करण है, जिसे LVM3 के नाम से जाना जाता है। चूँकि गगनयान एक चालित (Crewed) मिशन है, इसलिये GSLV Mk-III में 'ह्यूमन रेटिंग' की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये इसकी विश्वसनीयता और सुरक्षा बढ़ाई गयी है।

  1. S200 मोटर- LVM3 लॉन्च व्हीकल का पहला चरण जिसे 4,000 किलोग्राम उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट(GEO) में पहुँचाने के लिये डिज़ाइन किया गया था और इसे स्ट्रैप-ऑन रॉकेट बूस्टर का आकार दिया गया था।
  2. LVM-3 के तीन प्रणोदन चरणों में से ह्यूमन-रेटेड संस्करण दूसरे चरण के हैं जिन्हें तरल प्रणोदक के साथ L110-G के रूप में जाना जाता है
  3. क्रायोजेनिक प्रणोदक के साथ तीसरा चरण C25-G योग्यता के अंतिम चरण में है, जिसमें स्थैतिक फायरिंग के साथ परीक्षण शामिल है।

महत्‍व :

  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत नया कीर्तिमान स्‍थापित करेगा, भारत की ख्‍याति बढे़गी, इसरो को वैश्विक प्रोजेक्‍ट ज्‍यादा प्राप्‍त होंगे।
  • यह देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के स्तर को बढ़ाने तथा युवाओं को प्रेरित करने में मदद करेगा।
  • गगनयान मिशन में विभिन्न एजेंसियों, प्रयोगशालाओं, उद्योगों और विभागों को शामिल किया जाएगा।
  • यह औद्योगिक विकास में सुधार करने में मदद करेगा।
  • सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ाने हेतु किये जा रहे सुधारों के क्रम में हाल ही में एक नए संगठन IN-SPACe के गठन की घोषणा की है।
  • यह सामाजिक लाभों के लिये प्रौद्योगिकी के विकास में मदद करेगा। यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।




 By: Hemant Pradhan

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