दुनिया का सबसे बेहतरीन इन्वेस्टमेंट


 हेलो दोस्तों मैं आप लोगों की तरह एक आम आदमी, एक आम शहरी |  हर व्यक्ति की समाज में अपनी एक भूमिका होती है | हम भी अनेक भूमिका का निर्वहन करते है |  मैं पेशे  से एक  शिक्षक हूँ | पढ़ना, पढ़ाना मेरा काम है , मैं एक पिता भी हूं ,एक पति भी हूं ,एक पुत्र भी हूं | इन सभी सामाजिक पदों  से सम्बंधित भूमिका का निर्वहन हर आम आदमी करता है | सुबह उठकर ऑफिस जाना एवं दिनभर ऑफिस में दिए गए काम को करना , उस काम को करने के लिए हमारे साथ हमारे कई सहयोगी मित्र हैं , अलग-अलग विभाग के मित्र भी है , सब मिलकर हम अपने काम को अंजाम देते हैं | काम के बाद घर जाना फिर परिवार के लिए समय निकालना उनको घूमाना , खरीदारी करना , बाजार से दैनिक उपयोग की चीजें  लाना आदि | हमारे जीवन में इस प्रकार की  दिनचर्या बनी रहती है | इस प्रकार का सिलसिला में  दिन से सप्ताह , सप्ताह से महीने , महीने से साल गुजरते चले जाते हैं | हम अपनी भूमिका में सभी तरफ से सफल होने  का प्रयास करते है  | हम शिक्षक के रूप में अपनी भूमिका को सही निर्वाह करते हैं, पिता के रूप में पति के रूप में , पुत्र के रूप में , इन सभी भूमिका के निर्वाह में एक चीज जो छूट जाती है वह है स्वयं के लिए समय निकालना  |

 इसलिए दोस्तों ज्यादा टेंशन लेने का नहीं , ना ही  देने का | आपको लग रहा है कि मैं बहुत ही सीरियस बातें  करने वाला हूं | लेकिन ऐसा नहीं दोस्तों मैं अपने इस दिनचर्या में अपने काम में भी , अपने लिए समय निकाल लेता हूं | ऑफिस में भी हम दोस्तों में औपचारिक अनौपचारिक दोनों प्रकार के संबंध रहते हैं | हंसी मजाक करते हुए अपने काम को करते हैं ज्यादा सीरियस रहने का नहीं | ज्यादा सीरियस रहने से काम बनेगा नहीं , बल्कि बिगड़ जाता है | 

मैं यह चाहता हूं कि आम लोगो की जिंदगी इतने में सीमित मत रहे | मगर अपना लाइफ का फंडा कुछ अलग है दोस्तों मैं अपने दोस्तों के साथ हर रविवार कुछ ना कुछ अलग करने का प्रयास करता हूं | इसलिए मैं निकल पड़ता हूं कहीं नदी , पहाड़ तो कहीं झरनों के बीच में , कभी दलहा पहाड़ चढ़ने लग जाता हूं तो कभी बोतल्दा का पहाड़ | आप लोगों को भी अपने जीवन में अपने लिए समय निकालना चाहिए |  मतलब खुद के लिए समय ,परिवार को तो समय देते  ही हैं | स्वयं को समय देना चाहिए  मै  यह इसलिए नहीं कह रहा हूं कि मै यह चाहता हूं  | बल्कि  मैं इसलिए कह रहा हूं कि इस प्रकार की दिनचर्या जो हमारे  शरीर के साथ मन को  भी प्रसन्न रखता  है और इन दोनों को प्रसन्न रहना  साथ ही शरीर को  मेंटेन रखना भी अपने आप में एक मैनेजमेंट स्किल है  क्योंकि लोग समय के साथ  तो पैसा कमा लेते हैं पर  अपने शारीरिक स्वास्थ  को बिगाड़ लेते है  | जैसे किसी को कमर दर्द , ब्लड प्रेशर , पीठ  दर्द, शुगर आदि  |

 यह आम लोगों की जिंदगी में होने वाली सामान्य समस्या  है | मैं भी अपने दोस्तों को यही कहता हूं कि संडे को केवल सो कर  मत गुजारो , घर से बाहर  निकलो ऑफिस और घर के अलावा भी दुनिया है |  कुछ शारीरिक काम किया करो चाहे वह घूमना हो या आउटडोर एक्टिविटी , वह मूवी तो आपने देखी होगी “जिंदगी ना मिलेगी दोबारा” यह कहने की जरूरत नहीं है  | इस मूवी  ने लोगों को इस तरफ ध्यान खीचा | हम तो यह चाहते है की हम कुछ करें , लेकिन हम इस कुछ करने के लिए कुछ समय नहीं निकाल पाते |  इसलिए कुछ समय रुक कर दोस्तों से कुछ चर्चा करके समय निकालिए और अपने आप को भी समय दीजिए |

स्वास्थ्य के इस चर्चा में उस वर्ग के लोग ज्यादा शामिल होते हैं जिनकी आयु 40 वर्ष  के आसपास होती है | उन्हें तो इस मैटर को सीरियसली लेना चाहिए , कि अब नहीं तो कभी नहीं क्योंकि इस ही उम्र में बीपी, शुगर , सहित अन्य बीमारी  हमारे पीछे पड़ी रहती है | आपने थोडी सी लापरवाही की नहीं की  कि तुरंत बीपी और शुगर आप पर हावी हो जाता है  | यह   बीमारी आपको ना  पकड़ पाए  तो इनकी पकड़ से बचने के लिए इनसे तेज दौड़ना पड़ेगा  और दौड़ने से आपका शरीर भी सही रहेगा दिल भी सही रहेगा | 

आपको पता तो है आप सोशल मीडिया , न्यूज़ में हमेशा देख रहे हैं कि दिल अक्सर बीच में ही धोखा दे दे रहा है | हालांकि मेरा यह लहजा आपको  मजाकिया लग रहा होगा  | मगर आपको पता है राष्ट्रीय स्तर पर बहुत सारे ऐसे हस्तीयाँ  हैं जिनकी  हृदयाघात से अचानक  मृत्यु हो गई | हृदयाघात  बीमारी ऐसा लगता है कि अभी कुछ वर्ष पहले  ही आया हुआ है | इससे पहले हृदयाघात सुनने में बहुत कम मिलता था  | मगर आज अखबार में आप किसी को भी देख लीजिए कि फलना नेता की मृत्यु, फलना अधिकारी की मृत्यु, फालना व्यापारी की मृत्यु, नौकरशाह ,फलना उद्योगकर्मी , हृदयाघात से चल बसे |

इसलिए अपने लिए समय दे , अपने स्वस्थ पर ध्यान दे , अगर ग्रुप में नहीं तो अकेला ही सही | राकेश झुनझुनवाला जी को कौन नहीं जानता , जिन्होंने अपने दिमाग के बूते अरबों रुपए कमाए थे . अपने अंतिम दिनों में दिए गए एक   इंटरव्यू में  झुनझुनवाला ने कहा था कि दुनिया का सबसे अच्छा इन्वेस्टमेंट अपने स्वस्थ्य पर किया गया इन्वेस्टमेंट है. 

महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य- 'कुमारसम्भव' में एक अनुपम बात लिखी- 'शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्' . शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्’ इन पंक्तियों का अर्थ इस प्रकार है...कि शरीर ही सारे कर्तव्यों को पूरा करने का एकमात्र साधन है। इसलिए शरीर को स्वस्थ रखना बेहद आवश्यक है, क्योंकि सारे कर्तव्य और कार्यों की सिद्धि इसी शरीर के माध्यम से ही होनी है। अतः इस अनमोल शरीर की रक्षा करना और उसे निरोगी रखना मनुष्य का सर्वप्रथम कर्तव्य है। ‘पहला सुख निरोगी काया’ यह स्वस्थ रहने का मूल-मंत्र है।


By: Ganeshram Aditya

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