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हाल ही में पीएम मोदी ने राज्यसभा में आर्टिकल 356 के बारे में चर्चा की, देश में समय समय पर अनुच्छेद 365 लागू होता रहा है। आइये आज हम जाने की यह है क्या और किस प्रकार आपको और हमें प्रभावित करता है।
1935 के भारत सरकार अधिनियम को अनुच्छेद 356 के नीव के रूप में देखा जा सकता है। अनुच्छेद 356 या राष्ट्रपति शासन एक ऐसी स्थित है जिसमें राज्य सरकार को निलंबित कर दिया जाता है और राज्यपाल बतौर केंद्र का प्रतिनिधि राज्य के प्रमुख कार्यकारी के रूप में कार्य करता है। 1954 में अनुच्छेद 356 का पहली बार प्रयोग किया गया था।
अनुच्छेद-356: पृष्ठभूमि:
- डॉ. अंबेडकर द्वारा संविधान सभा में अनुच्छेद-356 को संविधान के एक मृत/अनाम पत्र (Dead Letter) की संज्ञा देने और भविष्य में कभी इसका प्रयोग न किये जाने के अनुमान के विपरीत संविधान के लागू होने के बाद से अब तक 125 से अधिक मौकों पर इसका प्रयोग/दुरुपयोग किया जा चुका है।
- लगभग सभी मामलों में इसका प्रयोग राज्यों में संवैधानिक मशीनरी की विफलता के बजाय राजनीतिक हितों के लिये किया गया था।
- पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अनुच्छेद-356 का प्रयोग 27 बार किया और अधिकांश मामलों में इसका प्रयोग राजनीतिक स्थिरता, स्पष्ट जनादेश की अनुपस्थिति या समर्थन की वापसी आदि के आधार पर बहुमत वाली सरकारों को हटाने के लिये किया गया था।
- वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद उसने भी प्रतिशोध के रूप में 9 कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारों को भंग कर दिया।
- वर्ष 1980 में इंदिरा गांधी की सत्ता में पुनः वापसी के बाद उन्होंने एक ही बार में विपक्षी दल द्वारा शासित नौ राज्यों की सरकारों को भंग कर दिया।
- इसके बाद भी चुनी गई सरकारों ने इस अनुच्छेद का दुरुपयोग इसी प्रकार जारी रखा।
अनुच्छेद-356: क्या है ?
यदि राष्ट्रपति का किसी राज्य के राज्यपाल से प्रतिवेदन मिलने पर या अन्यथा, यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें उस राज्य का शासन इस संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है तो राष्ट्रपति अनुच्छेद 356 (Article 356) के तहत उस राज्य में आपातकाल की उद्घोषणा कर सकता है। इसे संवैधानिक आपातकाल और राष्ट्रपति शासन भी कहते हैं।
अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति राज्य में आपातकाल की उद्घोषणा कर सकता है। इसे संवैधानिक आपातकाल और राष्ट्रपति शासन भी कहते हैं। राज्य में आपातकाल की उद्घोषणा राष्ट्रपति द्वारा निम्न तीन आधारों पर की जाती है-
- राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल होने पर
- पंथनिरपेक्षता के उलंघन होने पर
- अनुच्छेद 365 का पालन न होने पर
- हालाँकि अनुच्छेद 356 को भारतीय संविधान में शामिल करने का उद्देश्य केंद्र तथा राज्य के मध्य सहयोग एवं समन्वय को बनाये रखना है परन्तु हमें पिछले कई दशकों में हमें सरकारों द्वारा इसके दुरुपयोग अधिक देखने को मिले है ।
- अनुच्छेद 356 को भारतीय संविधान में शामिल किया गया था ताकि केंद्र सरकार संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण कानून और व्यवस्था की गड़बड़ी जैसी गंभीर परिस्थितियों से राज्यों की रक्षा कर सके क्योंकि भारत जैसे बड़े देश में ऐसी स्थिति के बढ़ने की संभावना हमेशा बनी रहती है। अनुच्छेद 356 के आधार पर दी गई असाधारण शक्ति राज्यों को उनकी चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें बचाने के लिए थी।
- यह समझने की जरूरत है कि अनुच्छेद 356 को शामिल करने का मूल उद्देश्य राज्यों की सुरक्षा करना था, जब सुशासन के लिए कानून और व्यवस्था टूट जाती है।
By: Dhirendra Pratap Singh
Useful Links:
Constitution of India
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