जोशीमठ में जमीन धंसना

Joshimath Landslide

 जोशीमठ में जमीन धंसना - 

  • जोशीमठ [उत्तराखंड] में जमीन धंसना उस नुकसान की गंभीर याद दिलाता है, जो लापरवाह बुनियादी ढांचे के विकास और स्थिति को खराब करने में जलवायु परिवर्तन की भूमिका के कारण हो सकता है ।
  • बद्रीनाथ [फूलों की घाटी] और हेमकुंड साहिब की ओर जाने वाले यात्रियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण केंद्र जोशीमठ में भूस्खलन एवं ज़मीन धँसने के कारण चिंतित स्थानीय लोगों द्वारा प्रदर्शन किया गया। 
Joshimath land Displacement

  • इस शहर को भूस्खलन-धँसाव क्षेत्र घोषित किये जाने के साथ ही जोशीमठ में भूस्खलन से प्रभावित घरों में रहने वाले 60 से अधिक निवासियों को अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • जोशीमठ में स्थिति कोई नयी नहीं है, क्योंकि 1970 के दशक में भूमि धंसने की घटनाएं भी सामने आई थीं। 1978 में, गढ़वाल आयुक्त महेश चंद्र मिश्रा के नेतृत्व में एक पैनल ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें कहा गया था कि शहर और नीती और माणा घाटियों में मोरेन पर स्थित होने के कारण बड़े निर्माण कार्य नहीं किए जाने चाहिए। IPCC की 2019 और 2022 की रिपोर्ट में इसी तरह आपदाओं के लिए क्षेत्र की उच्च संवेदनशीलता को नोट किया गया है। 
People nearby Joshimath

कारण-

जोशीमठ में भूमि धंसने का प्राथमिक कारण नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन की तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट [Tapovan Vishnu gad Hydro Power Project] माना जा रहा है, हालांकि जलवायु परिवर्तन भी एक योगदान कारक है। Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) की नवीनतम रिपोर्ट के लेखकों में से एक जलवायु वैज्ञानिक अंजल प्रकाश ने कहा कि इस परियोजना ने जोशीमठ में खोखले स्थानों के निर्माण की घटना में योगदान दिया है और नाजुक हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में सावधानीपूर्वक योजना के महत्व पर प्रकाश डाला है।

Breaking of Land

जोशीमठ को बचाने हेतु संभावित उपाय -

  • विशेषज्ञ क्षेत्र में विकास और पनबिजली परियोजनाओं को पूरी तरह से बंद करने की सलाह देते हैं लेकिन निवासियों को तत्काल सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किये जाने की आवश्यकता है और बदलते भौगोलिक कारकों को समायोजित करने के लिये शहर की योजना फिर से बनाई जानी चाहिये।
  • ड्रेनेज योजना सबसे बड़े कारकों में से एक है जिसका अध्ययन और पुनर्विकास करने की आवश्यकता है। शहर खराब जल निकासी एवं सीवर प्रबंधन से ग्रस्त है चूँकि अधिकांशतः शहरी अपशिष्ट, मृदा को दूषित कर रहा है, जिससे मृदा की संरचना कमज़ोर हो जाती है। राज्य सरकार ने सिंचाई विभाग को इस मुद्दे पर गौर करने और जल निकासी व्यवस्था के लिये एक नई योजना बनाने को कहा है।
  • विशेषज्ञों ने मृदा की क्षमता को बनाए रखने के लिये विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में पुनर्रोपण का भी सुझाव दिया है। जोशीमठ को बचाने के लिये सीमा सड़क संगठन (BRO) जैसे सैन्य संगठनों की सहायता से सरकार और नागरिक निकायों द्वारा एक समन्वित प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
  • हालाँकि लोगों को स्थानीय घटनाओं के बारे में चेतावनी देने के लिये राज्य में पहले से ही मौसम पूर्वानुमान तकनीक मौजूद है, किंतु इसके कवरेज में सुधार की आवश्यकता है।
  • [उत्तराखंड में मौसम की भविष्यवाणी, उपग्रहों और डॉप्लर वेदर रडार {ऐसे उपकरण जो वर्षा का पता लगाने एवं उसके स्थान और तीव्रता को निर्धारित करने के लिये विद्युत चुंबकीय ऊर्जा का उपयोग करते हैं} के माध्यम से की जाती है।]
  • राज्य सरकार को वैज्ञानिक अध्ययनों को भी अधिक गंभीरता से लेने की आवश्यकता है, जो वर्तमान संकट के कारणों की स्पष्ट रूप से व्याख्या करते हैं। तभी राज्य अपने विकास बाधाओं को खत्म कर पाएगा।

 By: Ishar Ahmad

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